मॅडमने जब छोड़ी दिल्ली
जाग उठी तब भिगी बिल्ली.
जनताने जब आवाज़ लगाई,
जनपथसे बिल्ली गुर्राई.
"सरकारके खिलाफ गर करो प्रचार,
भेजेंगे तुम्हे जेल तिहार."
किसीने फ़ाहराया तब ऐसा क्रांतिका झंडा,
जाग उठा भारतका बाशिंदा.
हर बुढा, हर बच्चा लगाये अब यही नारे,
आगे बढो, हम तुम्हारे साथ हैं अण्णा हज़ारे!
बिल्ली, शेर न तुम अब कभी बनोगी.
अब बस यह सोचो इस आँधीसे तुम कैसे बचोगी?
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